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मीरा : मेरी यात्रा, पुस्तक का विमोचन

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हिन्दी साहित्य में अप्रतिम स्थान रखने वाली कवियित्री मीरा का नाम बड़े आदर और सम्मान से लिया जाता है. मीरा दर्द की दीवानी,  अपने गुरु के प्रति पूरी भक्ति भाव से भरी हुई समाज की वेदनाओं के सहते हुए एक नया आयाम स्थापित करती हैं. मीरा के साहित्य को लेकर शोध के दौरान मेरे मन में उन पर पुस्तक निकालने की योजना बनी, और उस योजना को मूर्त रूप मिला इस महीने की चार तारीख को जब मीरा मेरी यात्रा पुस्तक का विमोचन हुआ .....इस पुस्तक का विमोचन ननद किशोर राजौरा ने किया . उनके साथ – साथ इस कार्यक्रम में कई विशिष्ट अथिति उपस्थित थे ....यहाँ पेश हैं कार्यक्रम की कुछ चित्रमयी झलकियाँ ....बाकी विवरण फिर ....!!!     समारोह की शुरुआत  पुस्तक का कवर पेज  पुस्तक का विमोचन   संपादिका का सम्मान  
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आप सभी को ये बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है की मेरी पुस्तक का काम लगभग पूरा होने जा रहा है . मंजू रानी शोधार्थी (दिल्ली विश्वविद्यालय) .

meera meri yatara

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meera meri yatra

मंजू रानी शोधार्थी (दिल्ली विश्वविद्यालय)

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मीरा में मेरा मन कब लग गया, ये मुझे खुद पता नही, कृष्णा से सब प्रेम करे , मीरा को कोय अन्देख करे , बिना मीरा न जाने कोई गिरिघर , नारी से पहेचाने नर को ये , कोय न रित हम शरू करे, मंजू रानी शोधार्थी (दिल्ली विश्वविद्यालय)

मीरा रानी

मीरा रानी 

पुस्तक प्रकाशन योजना

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बहुत जल्दी मीरा पर एक पुस्तक सम्पादित करने जा रही हूँ ....आप सभी से अनुरोध है कि मीरा पर जो लेख लिख कर देना चाहते है कृप्या जल्दी से मुझे मेरे मेल ( manjurani2015@g mail.com )  पर भेजने का कष्ट करे .... ! मंजू रानी शोधार्थी (दिल्ली विश्वविद्यालय) 
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Add caption मीरा बाई का एकमात्र मंदिर जो जयपुर में है .जिसमे श्री कृष्ण के चरणों के पास मीरा बाई बेठी है. कृष्ण की इस मूर्ति में देखने वाली ये बात है की ये सीधे खड़े है,गर्दन भी बिलकुल सीधी है,५०० साल पुराना ये मंदिर है! कभी जयपुर जाना हो तो अमेर किले के पास ही ये मंदिर है ! मंजू रानी शोधार्थी (दिल्ली विश्वविद्यालय)
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mere तो गिरिधर गोपाल दूसरौ न कोई। जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई।।