mere तो गिरिधर गोपाल दूसरौ न कोई।
जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई।।

Comments

  1. मीरा बाई पर शोध करते -करते मुझे कृष्णा से इतना प्यार हो गया की मेने ये मोर पंख अपने हाथ पर टेटू के रूप में जीवन भर के लिए बनवा लिया है !

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

'मध्यकालीन काव्य भाषा का स्वरुप और मीरां की काव्य भाषा' विषय पर मंजू रानी को मिली 'विद्यावाचस्पति' की उपाधि