मीरा पर शोधकार्य हो रहा है, यह जानकर बहुत प्रसन्नता हो रही है...आज जरूरत है इस तरह के शोध की। सबसे अच्छी बात यह है कि मंजू रानी (शोधार्थी छात्र ) फेलोशिप की मदद से बड़े पैमाने पर सेमिनार आयोजित करवा रही हैं.. शायद ऐसा पहली बार हो रहा है कि कोई छात्र अपने शोध को लेकर इतना गंभीर है। उनकी गंभीरता का प्रमाण इससे बड़ा और क्या हो सकता है कि वह दिल्ली से मीरा की नगरी में जाकर इतना भब्य आयोजन कर रही हैं। हिन्दी भाषा के लिए यह शुभ संकेत हैं...मंजू के इस प्रयास को साधुवाद..       मंजू रानी शोधार्थी (दिल्ली विश्वविद्यालय)

Comments

Popular posts from this blog

'मध्यकालीन काव्य भाषा का स्वरुप और मीरां की काव्य भाषा' विषय पर मंजू रानी को मिली 'विद्यावाचस्पति' की उपाधि