http://www.youtube.com/watch?v=VJ5o8uyM9x4
Popular posts from this blog
मीराबाई को लोगों ने बहुत त्रस्त किया सहने की भी सीमा होती है मीराबाई ने बहुत सहन किया।। एक बार बहुत व्याकुल हो गयीं , तब चित्रकूट में तुलसीदास जी महाराज को उन ्होंने पत्र लिखा।।। आशय था कि मै तीन वर्ष की थी, तब से गिरधर गोपाल के प्रति अनुरक्त हु। मेरी इच्छा न होने पर मेरा विवाह हुआ।। मै एक राजा की रानी हु। राजमहल का विलासी जीवन मुझे पसंद नहीं है। मै पति को परमात्मा मानती हु। व्यवहार की मर्यादा से भक्ति करती हु फिर भी लोगों से त्रास पाती हु। मै क्या करू? तुलसीदास जी महाराज ने उत्तर दिया - 'बेटी, सुवर्ण की परख कसौटी पर होती है, पीतल की कसौटी पर नहीं होती। मन को समझाना की कन्हैया तुम्हे कसौटी पर परख रहे है। धैर्य धारण कर लो। जिन्हें श्री सीताराम प्रिय नहीं लगते, जिन्हें श्री कृष्ण से प्रेम नही है, जो माँ के भक्त नहीं उसे दूर से ही वंदन करो, वैष्णव बैर नहीं रखते, उपेक्षा करते है --- जाके प्रिय न राम वैदेही। तजिए ताहि कोटि वैरी सम, यद्यपि परम स्नेही।। जिन्हें श्रीसीता
मीरा बनाना चाहती हूँ में ,
ReplyDeleteक्या कोई कृष्णा बन सकता है ?
प्रेम में विष पीना चाहती हूँ में ,
क्या कोई विष की राह पर ले जा सकता है?
मीरा में 'म' और 'र' दो अश्रर होते है,
ReplyDeleteमेरे भी नाम में 'म' और र'अश्रर होते है ,
मीरा- रानी थी, वो उस समय की ,महलो की ,
में हूँ , मंजू रानी , अपने ही घर की ,
मीरा मेरी यात्रा है,
ReplyDeleteदूर तक मुझे जाना है ,
साथ चाहिए बस किस्मत का ,
तन -मन से डूब जाना है,
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteमीरा में मेरा मन कब लग गया,
ReplyDeleteये मुझे खुद पता नही,
कृष्णा से सब प्रेम करे ,
मीरा को क्यों अन्देख करे ,
बिना मीरा न जाने कोई गिरिघर ,
नारी से पहेचाने नर को ये ,
क्यों न रित हम शरू करे,
राधे-राधे सब सब बोलते है
ReplyDeleteमीरा -मीरा कब बोलेगे ,त्याग ,
सहेंनशीलता की मूर्ति को कब इस जग में लोग सराहेगे ?